वर्षात में अपनी जान हथेली पर रखकर जर्जर स्कूल में पढ़ते हैं 46 नौनिहाल, दो साल से शिकायती दौर जारी: जिम्मेदार बेपरवाह 

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अभिभावकों की पुकार : साहब! स्कूल की छत गिरने का हमेशा बना रहता है ड़र कहीं कोई बड़ी अनहोनी ना हो जाए।

आशीष चौरसिया बकस्वाहा। जनपद शिक्षा केन्द्र की माध्यमिक शाला भडाटोर शिक्षा का नहीं, बल्कि घोर लापरवाही का नमूना बन चुकी है। जहां वर्षात के समय 46 नौनिहाल बच्चे डर के साए में रहते हुए स्कूल के जर्जर भवन में अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जानकारी के अनुसार बकस्वाहा जनपद क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम भडाटोर में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में महज तीन कमरे हैं— जिनमें से दो कमरें और एक किचिन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं, और एकमात्र बचा कमरा ही कक्षा और स्टाफ रूम दोनों का काम कर रहा है।

प्रभारी शिक्षिका की पीड़ा 

विद्यालय की प्रभारी शिक्षिका प्रियांका ठाकुर ने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए बताया कि वर्तमान में विद्यालय में कुल 46 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। जिन कमरों की हालत बहुत ही गंभीर है और यह भवन पूरी तरह जर्जर स्थिति में हैं वहां बच्चों को बैठाना संभव नहीं हैं। हम सीमित संसाधनों में जैसे-तैसे शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं।

 

शिक्षा के नाम पर बच्चों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़,अभिभावकों का आरोप

स्थानीय अभिभावक राहुल लोधी और मुलायम सिंह लोधी ने विद्यालय की दशा को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा, विद्यालय में कुल तीन कमरे हैं,जिसमें से एक किचन और एक बरामदा है। इनमें से दो कमरों की छतें क्षतिग्रस्त हैं, जबकि किचन पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। इन जगहों पर बच्चों को बैठाना सीधे-सीधे उनकी जान जोखिम में डालने जैसा है। उन्होंने रोष जताते हुए आगे कहा कि अब केवल एक ही कमरा बचा है, जहां शिक्षक भी बैठते हैं और बच्चे भी पढ़ते हैं। ऐसी स्थिति में यह कहना मुश्किल है कि यह शिक्षा का मंदिर है या प्रशासनिक उपेक्षा का नमूना। यह बच्चों की सुरक्षा और भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है, जिसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। 

बच्चों की जुबानी —हर दिन बना रहता है जान का खतरा

विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 8वीं की एक छात्रा ने भयावह स्थिति को बयां करते हुए बताया कि बारिश होते ही छत से पानी टपकने लगता है। दीवारें सीलन से भीग जाती हैं और ऐसा लगता हैं कि स्कूल की छत कभी भी गिर सकती हैं। कई बार तो हमें छाता लेकर कक्षा में बैठना पड़ता है या बाहर बरामदे में खड़े होकर पढ़ाई करनी पड़ती है।हम रोज इसी डर के साथ स्कूल में पढ़ाई करते हैं, जब स्कूल से हमारी छुट्टी होती हैं तब जाकर हमारा ड़र दूर होता हैं।

दो साल से शिकायती दौर जारी, जिम्मेदार बेपरवाह — फाइलों में उलझी बच्चों की ज़िंदगी

बकस्वाहा जनपद शिक्षा केन्द्र की माध्यमिक शाला भडाटोर की जर्जर हालत की शिकायतें बीते दो वर्षों से लगातार की जा रही हैं, लेकिन आज तक न मरम्मत शुरू हुई और न ही कोई स्थायी समाधान सामने आया। शिक्षा केंद्र के प्रभारी बीआरसीसी चंद्र विजय सिंह बुंदेला का कहना है कि विद्यालय भवन की खस्ताहाल स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों को समय-समय पर दी गई है। मरम्मत हेतु स्टिमेट तैयार कर प्रस्ताव छतरपुर मुख्यालय को भेजा जा चुका है। जैसे ही धनराशि स्वीकृत होगी भवन का मरम्मत कार्य प्रारंभ करवा दिया जाएगा।

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Author: Parinda Post

सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !

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