इसरार खान पन्ना । क्या आपने कभी सुना है कि इस संसार के पालनहार भगवान भी बीमार हो सकते हैं, यह सुनकर भले ही अजीब लगे, लेकिन पन्ना नगर के ऐतिहासिक भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में हर वर्ष रथयात्रा के पहले भगवान खुद लू लगने से अस्वस्थ हो जाते हैं। यह सदियों पुरानी आस्था, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत प्रतीक है, जो आज भी पूरी श्रद्धा से निभाई जाती है।
रविवार को मंदिर में आयोजित स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ स्वामी को हजार छिद्रों वाले पारंपरिक घट से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ औषधीय जल से स्नान कराया गया। मान्यता है कि इस दौरान भगवान को लू लग जाती है, जिससे वे बीमार हो जाते हैं। इसी परंपरा के निर्वहन में अब अगले 15 दिनों तक मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद कर दिए गए हैं।
बीमार भगवान की सेवा में लगते हैं वैद्य, बदलती है दिनचर्या और भोजन
भगवान की इस विशेष अवधि को ‘अनवसर’ कहा जाता है, जिसमें दिनचर्या और भोग प्रसादी की व्यवस्था भी पूरी तरह बदल दी जाती है। इस दौरान भगवान को विशेष औषधीय काढ़े और वैद्य की देखरेख में उपचार दिया जाता है। पूजा-अर्चना मंदिर के भीतर पुजारियों द्वारा की जाती है, लेकिन आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन वर्जित रहते हैं।
राजपरिवार की उपस्थिति में हुआ स्नान उत्सव, 200 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा
रविवार को सुबह राजपरिवार की उपस्थिति में स्नान यात्रा की रस्म पूरी की गई। इसके साथ ही 200 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव का विधिवत शुभारंभ भी हो गया। बताया जाता है कि पन्ना में प्राचीन मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा के 36 वर्षों बाद, यहां आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथयात्रा निकालने की परंपरा शुरू हुई थी।
पुरी की तर्ज पर निकलती है रथ यात्रा, घोड़े-हाथी-ऊंटों के साथ उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
यहाँ रथ यात्रा पुरी (उड़ीसा) की तर्ज पर पारंपरिक रूप से निकाली जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ स्वामी, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा को भव्य रथ में नगर भ्रमण कराया जाता है। रथ के साथ घोड़े, हाथी, ऊंट, बग्घियों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की टोली शामिल होती है। हजारों श्रद्धालु रथ को खींचकर पुण्य अर्जित करते हैं।
भक्त भगवान के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की करते हैं प्रार्थना
इस दौरान श्रद्धालु भगवान के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करते हैं। जब तक भगवान पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो जाते, तब तक मंदिर में आम दर्शन नहीं हो पाते। इसके पश्चात ही भव्य रथयात्रा निकलती है।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !



