महाराजा छत्रसाल विरासत महोत्सव में लोकसंस्कृति का ऐतिहासिक उत्सव, मांगणियार-कालबेलिया और सुंदरिया लोकनाट्य ने मोहा मन

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परिंदा पोस्ट छतरपुर। पर्यटक ग्राम मऊसहानियां में चल रहे महाराजा छत्रसाल विरासत महोत्सव के पहले दिन बुंदेलखंड की शान और राजसी परंपराओं को जीवंत करती भव्य प्रस्तुतियां हुईं। राजस्थान की मरुभूमि से आए मांगणियार गायन और कालबेलिया नृत्य की लाजवाब प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही दतिया की सुंदरिया लोकनाट्य शैली की प्रस्तुति ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

महाराजा छत्रसाल की जयंती के अवसर पर आयोजित इस महोत्सव का शुभारंभ बीती शाम हुआ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में शौर्य पीठ पहुंचकर महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर महोत्सव की शुरुआत की।

राजस्थान के जोधपुर से आए अप्पानाथ कालबेलिया समूह ने मांगणियार गायन और कालबेलिया नृत्य की अद्वितीय प्रस्तुति दी। मांगणियार कलाकारों के मधुर सुरों में लोकदेवताओं की गाथाएं, प्रेम की वेदना और मरुधरा की सुगंध समाई हुई थी, जिसने दर्शकों को राजस्थानी लोकजीवन से जोड़ दिया। कालबेलिया नृत्यांगनाओं की लचकदार कमर, नाचते कदम और घूमते घाघरे सदियों पुरानी लोकपरंपरा की जीवंत मिसाल बने।

दतिया के राजेश लिटोरिया एवं उनकी टीम ने सुंदरिया लोकनाट्य की जोशीली प्रस्तुति दी, जिसे खूब सराहा गया। जबलपुर की प्रसिद्ध लोक गायिका संजो बघेल ने अपने भक्ति संगीत से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। प्रस्तुतियां देर रात 12 बजे तक चलीं, और बड़ी संख्या में दर्शकों ने समृद्ध लोकसंस्कृति का आनंद लिया।

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Author: Parinda Post

सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !

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