खजुराहो शिल्पग्राम घोटाले में 26 साल बाद फैसला: तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर और लेखापाल को 10 साल कारावास और 1-1 लाख रुपये के हर्जाने से किया दण्डित

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जीतेन्द्र रिछारिया। खजुराहो शिल्पग्राम विकास प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार के 26 साल पुराने मामले में छतरपुर न्यायाधीश आशीष श्रीवास्तव ने फैसला सुनाया है। दक्षिण मध्य संस्कृतिक केंद्र नागपुर के तत्कालीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर आदिके शिवनन जप्पा पदमनाभा और लेखापाल सतीश वानखेड़े को दोषी ठहराते हुए धारा 409 के तहत 10-10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों पर 1-1 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। लेखापाल वानखेड़े को अतिरिक्त धारा 120बी (आपराधिक साजिश) में भी दोषी करार दिया गया है। प्रकरण में एक अन्य आरोपी अरुण बांगरे की मृत्यु हो चुकी है, जबकि रिटायर्ड आईएएस स्वर्णमाला लावला के खिलाफ कार्यवाही अब भी जारी है। उक्त मामला 1996 का है, जब दक्षिण मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र ने खजुराहो में शिल्पग्राम प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र और राज्य सरकार से 6 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई थी।  तत्कालीन प्रोजेक्ट ऑफिसर पदमनाभ ने नियमों को दरकिनार करते हुए शिल्पग्राम के नाम से बैंक खाता नहीं खोला। उन्होंने अपने निजी खाते में सरकारी पैसे जमा करवाए। इसके साथ ही उन्होंने आय-व्यय का कोई ब्योरा भी प्रस्तुत नहीं किया। वर्ष 1997-98 के ऑडिट में यह अनियमिताएं सामने आई और 48 लाख रुपये की हेरा फेरी का खुलासा हुआ।  लेखापाल वानखेड़े ने भी नियमों का उल्लंघन कर पदमनाभ को 67 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करवाने में मदद की। सिआईडी जबलपुर ने दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। विशेष लोक अभियोजक कृष्ण कुमार गौतम और शिवाकांत त्रिपाठी ने अदालत में विशेष सबूत और 34 गवाहों के माध्यम से आरोप सिद्ध किए, मामले में भ्रष्टाचार के तहत इसमें धाराएं बढ़ाई गई थी। ऐडीओपी कृष्ण गौतम ने न्यायालय को स्पष्ट किया कि आरोपियों ने न केवल राशि का दुरुपयोग किया, बल्कि निर्धारित समय सीमा में शिल्पग्राम का निर्माण भी नहीं कराया। बॉम्बे कमिश्नर रश्मि शुक्ला, नागपुर कमिश्नर रमेश सिंघल समेत कई प्रमुख अधिकारियों ने इस मामले में गवाही दी। अंततः न्यायालय ने 45.76 लाख रुपये के गबन को सिद्ध मानते हुए दोनों आरोपियों को सजा सुनाई और जेल भेज दिया गया।

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Author: Parinda Post

सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !

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