प्रति ड्रम 30 से 50 रुपये में बिक रहा पीने का पानी, महिलाओं और बच्चों की टूटी हिम्मत
विनोद कुमार जैन बकस्वाहा। बकस्वाहा नगर इस समय जल संकट के भीषण दौर से गुजर रहा है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि नगर के 15 वार्डों में रहने वाली करीब 12 से 15 हजार की आबादी पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रही है। नगर की गलियों में हर सुबह और शाम पानी की तलाश में खाली बर्तन लेकर घूमती महिलाएं, बूढ़े और छोटे-छोटे बच्चे आम नज़ारा बन चुके हैं।
मुख्यमंत्री नल-जल योजना फेल
सरकार की बहुप्रचारित मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत नगर में तीन हजार से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं, लेकिन बीते दो से ढाई महीने से अधिकतर नलों में एक बूंद भी पानी नहीं आ रहा। लोगों की उम्मीदें हर रोज टूट रही हैं और सरकारी तंत्र केवल आश्वासन की जुबानी बातों तक सीमित है।
पानी के लिए जेब काट रही प्यास,हैंडपंपों और कुओं पर लगी लंबी कतारें
पानी अब इंसान की जरूरत नहीं, मजबूरी और बाजार का सौदा बन चुका है। नगर में प्राइवेट टैंकर माफिया सक्रिय हैं जो एक ड्रम पानी के लिए 30 से 50 रुपये तक वसूल रहे हैं। गरीब परिवार दो वक्त की रोटी छोड़कर पानी खरीदने को विवश हैं। ऐसी भीषण गर्मी में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया है। नगर के आस पास के कुछ हैंडपंप और पुराने कुएं ही अब सहारा बने हैं, लेकिन वहां भी पानी के लिए मारामारी है। दिनभर महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे दिनभर हैंडपंपों और कुओं से पानी भरने के लिए खाली बाल्टी लेकर कतार में लगे रहते हैं। तेज धूप में बुजुर्गों की हालत और भी दयनीय है।
भदभदा डेम सूखा, वैकल्पिक इंतजाम नहीं
नगर की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत भदभदा डेम पूरी तरह सूख चुका है। हैरत की बात यह है कि नगर परिषद और जल निगम की लापरवाही के कारण समय रहते डेम की निगरानी नहीं की गई और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। किसानों द्वारा डेम के पानी का अत्यधिक सिंचाई में उपयोग किए जाने से संकट और भी गहरा गया।
जल निगम से पानी नहीं मिल रहा पूरा
नगर परिषद के जल प्रभारी अरविंद माली ने बताया कि जल निगम से प्रतिदिन पांच लाख लीटर पानी की आपूर्ति का अनुबंध है, लेकिन इस समय मात्र दो से तीन लाख लीटर पानी ही मिल पा रहा है। इस वजह से पूरे नगर में पर्याप्त दबाव नहीं बन पा रहा और नलों से पानी की आपूर्ति बाधित है।
नए सीएमओ ने दिए प्रयासों के संकेत
मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुंदरलाल सोनी ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में कार्यभार संभाला है और जल संकट को प्राथमिकता में रखते हुए तत्काल समाधान के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। उन्होंने नगरवासियों को भरोसा दिलाया है कि जल्द ही जल आपूर्ति व्यवस्था को पटरी पर लाया जाएगा।
नगरीय अव्यवस्था का प्रत्यक्ष उदाहरण
बकस्वाहा का यह जल संकट न केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है बल्कि यह उस पीड़ा की कहानी भी है जो हर घर की रसोई और हर मां के माथे की चिंता बन चुकी है। हर दिन गुजरते समय के साथ यहां के नागरिक बूंद-बूंद पानी को मोहताज होते जा रहे हैं और नगर के नन्ने मुन्ने बच्चे किलोमीटर की दूरियों से साईकल पर ड्रम लाद कर पानी लाने को मजबूर हैं ।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !





