परिंदा पोस्ट महोबा। जिले की ऐतिहासिक धरोहर आल्हा-ऊदल की गिल्ली आज उपेक्षा और अतिक्रमण की शिकार है। देखरेख के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल आंसू बहा रहा है। पुरातत्व विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि गिल्ली के आसपास कब्रिस्तान बना दिए गए हैं और कई मकानों का निर्माण भी हो गया है।
मदन सागर से कल्याण सागर को जोड़ने वाली पूर्व दिशा की नहर के किनारे हवेली दरवाजे मोहल्ले में स्थित यह गिल्ली कभी आल्हा-ऊदल के इतिहास का अहम हिस्सा रही है। परंतु अब यहां पहुंचना भी मुश्किल हो गया है। विभाग की गाइडलाइन के अनुसार 200 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए, फिर भी इस क्षेत्र में खुलेआम निर्माण कार्य और कब्जा हो रहा है।
पहले जहां ऐतिहासिक बोर्ड लगा था, वहां अब बफ बोर्ड के नाम पर कब्रिस्तान बना दिया गया है और बोर्ड को किनारे शिफ्ट कर दिया गया है। इससे न केवल पर्यटकों को असुविधा हो रही है, बल्कि गिल्ली का ऐतिहासिक महत्व भी खोता जा रहा है।
इतिहासकारों के अनुसार, गिल्ली के पास एक मठ और बाराद्वारी आज भी खंडहर रूप में मौजूद हैं। यदि जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो ये भी पूरी तरह गायब हो जाएंगे। मोहल्ले के लोगों ने कब्जाधारियों को हटाने के लिए जिलाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की है।
ऐतिहासिक गिल्ली, जो कभी बुंदेलखंड की शान थी, आज अस्तित्व के संकट से जूझ रही है और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर रही है।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !


