नरेंद्र दीक्षित बड़ामलहरा। जहां एक ओर सरकारें बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के बड़े-बड़े दावे करती हैं, वहीं जमीनी हालात कुछ और ही सच्चाई बयान कर रहे हैं। छतरपुर जिले के बड़ामलहरा क्षेत्र के ग्राम बमनकोला का प्राथमिक शाला इन दिनों बदहाल व्यवस्था का जीता-जागता उदाहरण बना हुआ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दू कि यहां शिक्षा तंत्र ने शिक्षा और स्कूल को मजाक बनाकर रख दिया हैं,जहां स्कूल का सरकारी भवन जर्जर होने के बाद प्रशासन ने स्कूल की बिल्डिंग तो गिरवा दी, लेकिन छात्रों की पढ़ाई के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए। अब हालत ये है कि कक्षा 1 से 5 तक के 51 मासूम बच्चे एक किराए के कमरे और एक दालान में जैसे-तैसे पढ़ने को मजबूर हैं।8 बाय 10 फीट के छोटे से कमरे में पढ़ाई के साथ-साथ समूह वालों का गैस सिलेंडर, चूल्हा, पलंग, अलमारी, पेटी, कपड़े व घरेलू सामान सब कुछ रखा हुआ है। बच्चे इन खतरनाक हालात में घंटों बैठे रहते हैं, जहां कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
उक्त किराये के स्कूल तक पहुँचने का रास्ता भी किसी सजा से कम नहीं हैं। बारिश में कीचड़ भरे गड्ढों से भरे रास्ते से बच्चों को रोज फिसलते-गिरते स्कूल जाना पड़ता है। गांव के अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा तंत्र ने यहां शिक्षा का मज़ाक बना दिया हैं, जहां शासकीय भवन गिरा देने के बाद विभाग ने न तो नया भवन बनवाया, न ही सुरक्षित अस्थायी व्यवस्था की हैं । स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। गांव के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही स्थायी स्कूल भवन का काम शुरू नहीं किया गया और बच्चों को सुरक्षित माहौल नहीं मिला, तो जनआंदोलन किया जाएगा।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !

