परिंदा पोस्ट छतरपुर। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की एक बेटी अपनी अटूट भक्ति और अडिग संकल्प के साथ बागेश्वर बालाजी व धाम के पीठाधीश्वर के दर्शन हेतु 230 किमी की कठिन यात्रा तपती सड़कों पर लुढ़कते हुए कर रही है। भीषण गर्मी और तपती धरती पर यह साधना उनकी आस्था के साथ सनातन धर्म की महिमा को भी दर्शाती है। पिता और दोनों भाई नंगे पैर इस पुण्य यात्रा में सहभागी बनकर नारी शक्ति व पारिवारिक एकता का प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। यह यात्रा हिंदू राष्ट्र की सिद्धि के संकल्प हेतु समर्पित है, जो बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की प्रेरणा से प्रारंभ की गई है।
प्राप्त जानकारी अनुसार शिवपुरी जिले के पिपरा गांव की सविता झा ने इस तपस्या की शुरुआत 10 मई 2025 को की, जब वे श्री रामराजा सरकार के दर्शन हेतु शिवपुरी से ओरछा के लिए पैदल निकलीं। 13 मई को ओरछा में रामराजा सरकार का आशीर्वाद लेने के बाद, सविता ने बागेश्वर धाम की ओर लुढ़कन यात्रा प्रारंभ की। शुक्रवार 30 मई तक वे छतरपुर पहुंची और शनिवार, 31 मई को बागेश्वर धाम पहुंचकर श्री हनुमान बालाजी के दर्शन से अपनी साधना पूर्ण करेंगी। वे प्रतिदिन लगभग 12 किमी की दूरी तपती सड़कों पर लुढ़कते हुए तय कर रही हैं, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और भक्ति को दर्शाता है।
बेटी के पवित्र संकल्प में पिता और भाई सहभागी बनकर इस कठिन यात्रा को सफल बना रहे हैं।
सविता के बड़े भाई जीतेंद्र झा ने बताया कि हमने सविता को इस कठिन यात्रा से रोकने का प्रयास किया, लेकिन उनकी भक्ति और संकल्प के आगे हम झुक गए। उनकी आस्था देखकर हम तीनों- पिता और छोटा भाई, इस पुण्य यात्रा में सहभागी बन गए। पिता शोभाराम झा ने भावुक होकर कहा, यदि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आशीर्वाद मिला, तो जीवन धन्य हो जाएगा। यदि मुलाकात न हो सकी तो बालाजी के दर्शन ही हमारी साधना का फल होगा। हम बेटी के इस पवित्र संकल्प में पूर्ण सहभागी हैं। छोटा भाई सूरज झा धर्मध्वजा थामे सविता का हौसला बढ़ा रहा है। पूरा परिवार नंगे पैर चल रहा है, और पिता बाइक पर खाने-पीने का सामान ढोते हुए इस तपस्या का हिस्सा हैं।
सविता झा ने कहा, मैं पिछले चार वर्षों से बागेश्वर धाम से जुड़ी हूं और गुरुदेव धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से दीक्षा प्राप्त है। यह 230 किमी की यात्रा गुरुदेव के हिंदू राष्ट्र के संकल्प की सिद्धि हेतु कर रही हूं। मेरी कामना है कि सनातन धर्म का गौरव और एकता विश्व में स्थापित हो।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !
