शिवराम अठ्या
महाराष्ट्र (नासिक) । बुंदेलखंड की पावन नगरी शाहगढ़ में जन्मे राष्ट्रसंत, सर्वोदयी तपस्वी और अध्यात्म के प्रखर आचार्य देवनंदी जी महाराज की 62वीं जन्म जयंती इस वर्ष 15 अगस्त 2025 को महाराष्ट्र के चांदवड़ तहसील स्थित ‘णमोकार तीर्थ’ में भव्य रूप से मनाई जाएगी। यह दिन विशेष इसलिए भी रहेगा क्योंकि स्वतंत्रता दिवस और आचार्य श्री की जन्म जयंती एक साथ मनाई जाएगी।
जन्मभूमि बुंदेलखंड, परमार्थ भूमि महाराष्ट्र
15 अगस्त 1963 को शाहगढ़ की पावन माटी पर जब गुरुदेव का जन्म हुआ, तो एक आध्यात्मिक युग का उदय हुआ। गुरुदेव ने अपने तप, त्याग और साधना से महाराष्ट्र नासिक जिले के चांदवड़ क्षेत्र में ‘णमोकार तीर्थ’ की स्थापना कर एक वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र का निर्माण किया। यह तीर्थ आज श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्म का प्रमुख धाम बन चुका है।
णमोकार तीर्थ : नाग-नागिन की दिव्य उपस्थिति से जागृत अतिशय भूमि
महाराष्ट्र के नाशिक जिले में स्थित णमोकार तीर्थ केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक चमत्कार का केंद्र है। इस स्थल की दिव्यता और अतिशयता का प्रमाण उस दिन प्रत्यक्ष रूप में मिला जब रिषि पंचमी जैसे पावन अवसर पर एक नाग-नागिन की युगल जोड़ी स्वयं प्रकट होकर गुरुदेव आचार्य श्री देवनंदी जी महाराज के मंगल दर्शन हेतु उपस्थित हुई। करीब 35 मिनट तक यह दिव्य युगल जोड़ी गुरुदेव के समीप रहकर शांत भाव से णमोकार महामंत्र का श्रवण करती रही। यह केवल चमत्कार नहीं, बल्कि साक्षात आध्यात्मिक स्वीकार्यता थी — जिसे वहाँ उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रत्यक्ष देखा और अनुभूति की। यह केवल एक सामान्य दृश्य नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक चेतना और तपशक्ति से जाग्रत अतिशय स्थली का प्रमाण था, जो इस तीर्थ की असाधारणता को सिद्ध करता है। इस तीर्थ की पावन भूमि केवल वर्तमान की ही नहीं, बल्कि प्राचीन पौराणिक मान्यताओं से भी समृद्ध है। रामटेकड़ी के नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र दो सिद्ध क्षेत्रों की पर्वतीय श्रंखलाओं के मध्य स्थित है, जहां आदि काल से तपस्वियों ने साधना की है। नाग-नागिन की यह अलौकिक उपस्थिति उस अदृश्य ऊर्जा का संकेत है जो इस स्थल को सिद्ध क्षेत्र बनाती है। मान्यता है कि यहां स्वयं प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने भी अपने वनवास काल में कुछ समय व्यतीत किया था, जिससे यह भूमि और भी पवित्र मानी जाती है। णमोकार तीर्थ की यह घटना एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि जहां सत्य तप, सेवा और साधना होती है — वहां प्रकृति स्वयं आशीर्वाद देने उतर आती है।
गुरुकृपा से जागी “णमोकार भूमि”, जहां धर्म, दर्शन और विज्ञान का अद्भुत संगम
परम पूज्य गणाचार्य 108 श्री कुंथुसागर जी महाराज के आशीर्वाद और उनके परम शिष्य सारस्वताचार्य 108 श्री देवनंदी जी महाराज की दिव्य दृष्टि से यह “णमोकार तीर्थ” एक अद्भुत आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। यह तीर्थ केवल पत्थरों का नहीं, बल्कि भावनाओं, भक्ति और मोक्षमार्ग का जीवंत प्रतीक है।
विश्व का पहला “बोलता समवशरण” – 5.5 एकड़ में फैला अद्वितीय तीर्थ
मुंबई-आगरा हाईवे पर, मोहाड़ी गांव (तालुका चांदवड़, जिला नासिक) में स्थित यह तीर्थ न केवल विशालता में अद्वितीय है, बल्कि अपनी आध्यात्मिक गरिमा में भी अनुपम है। यहाँ 108 फ़ीट ऊँचा संगमरमर से निर्मित समवशरण स्थापित है, जिसमें 32 फ़ीट ऊँची चंद्रप्रभु भगवान की प्रतिमा विराजमान है। पंचमेरु, चौबीसी, नंदीश्वरद्वीप, 51 फीट की अरिहंत प्रतिमा और 31 फीट की पंचपरमेष्ठी प्रतिमाएं, श्रद्धालुओं को अध्यात्म के सागर में डुबकी लगाने का अनुभव कराती हैं। यह समवशरण णमोकार मंत्र पर आधारित विश्व का पहला बोलता तीर्थ है।
आचार्य श्री – एक युगद्रष्टा
गुरुदेव की वाणी में ज्ञान है, दृष्टि में करुणा है और जीवन में तपस्या की महिमा है। उन्होंने हमेशा समाज से कहा – “ज्ञान बांटिए, सेवा कीजिए, आत्मा को जानिए।” उनका संपूर्ण जीवन धर्म, सेवा और सामाजिक को समर्पित रहा है।
पंचकल्याणक और महामस्तकाभिषेक – 2026
गुरुदेव की प्रेरणा से आगामी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 6 से 13 फरवरी 2026 तक तथा महामस्तकाभिषेक 25 फरवरी 2026 को आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन संतोष पैंढारी (नागपुर) की अध्यक्षता में, संयोजक नीलम अजमेरा और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नेतृत्व में सम्पन्न होगा। इस आयोजन में 400 से अधिक तपस्वी संत, आचार्य, और मुनिगण सम्मिलित होंगे।
तीर्थ तक पहुंचने की सुविधा
रेल मार्ग से मनमाड़ 35 किमी, नासिक रोड 45 किमी तथा हवाई मार्ग से ओझर एयरपोर्ट 60 किमी दूर है। तीर्थ परिसर में धर्मशाला, पुस्तकालय, आराधना केंद्र, नाव विहार, मिनी ट्रेन और डिजिटल प्रचार केंद्र जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !
