कलेक्टर के आदेश हवा में, स्कूल बना जोखिम का केंद्र — कुसमाड़ की शालाओं में न शिक्षक, न सुरक्षा, न सुविधाएं
आशीष चौरसिया बकस्वाहा। छतरपुर जिले की बकस्वाहा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कुसमाड़ में संचालित शिक्षा का केंद्र शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक शालाएं बच्चों के लिए इस समय बड़ी अनहोनी होने का न्योता दे रहा है। यहां न तो बुनियादी सुविधाएँ हैं, न ही सुरक्षा के पर्याप्त उपाय और प्रशासनिक संवेदनशीलता का तो पूरी तरह अभाव है। स्थिति यह है कि विद्यालय के सामने स्थित गहराया हुआ खुला कुआं बच्चों की जान को हर रोज़ खतरे में डाल रहा है। कुएं की एक दीवार पहले ही मिट्टी खिसकने से धँस चुकी है, जिससे उसका खतरा और भी बढ़ गया है। विद्यालय में खेल के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं होने से मासूम छात्र उसी कुएं के किनारे खेलते देखे जाते हैं, यह दृश्य किसी बड़ी अनहोनी का पूर्व संकेत हो सकता है। इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह जोखिम सबके संज्ञान में है, फिर भी जिम्मेदारों की चुप्पी किसी आश्चर्य से कम नहीं। बच्चों की सुरक्षा के इस खुले सवाल पर अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया, जिससे प्रशासनिक संवेदनहीनता उजागर होती है।
कलेक्टर का आदेश ठंडे बस्ते में
आपकी जानकारी के लिए बता दू कि विगत दिवस पूर्व जिले के कलेक्टर ने सभी पंचायतों को सार्वजनिक कुओं पर मुण्डेर बनवाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था, ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि रोकी जा सके। बावजूद इसके, ग्राम कुसमाड़ में कलेक्टर के इस आदेश की पूर्ण अनदेखी की जा रही है, यह आदेश महज कागजों तक ही सीमित रह गया है।
शाला में सुविधाओं का टोटा न शिक्षक, न बिजली, न पेयजल
यहां की माध्यमिक शाला में 61 विद्यार्थी दर्ज हैं, लेकिन शुरुआत से अब तक कोई भी स्थायी शिक्षक पदस्थ नहीं किया गया है।यहां पर शिक्षा के नाम पर केवल बच्चों की हाजिरी और खानापूर्ति का खेल चल रहा है। विद्यालय में न तो बिजली की व्यवस्था है, न पेयजल की। विडंबना यह है कि परिसर में बिजली का खंभा मौजूद है, लेकिन आपूर्ति 400 मीटर दूर से खींचकर की जा रही है, विद्यालय के पूर्वी हिस्से से एक नाला गुजरता है, जो बरसात के समय पूरे परिसर को पानी-पानी कर देता है। इससे कक्षाएं ठप हो जाती हैं और परिसर दलदल में तब्दील हो जाता है। आज तक इस नाले के पानी को मोड़ने या बंधान बनाने की कोई व्यवस्था पंचायत द्वारा नहीं की गई।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब इस पूरे मामले से बीआरसीसी चंद्र विजय बुंदेला को अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि मैं कल ही प्राथमिकता से विद्यालय का निरीक्षण करूंगा। यदि भवन असुरक्षित पाया गया तो निजी भवन में शाला संचालित कराई जाएगी। साथ ही कुएं की मुण्डेर के लिए जनपद को पत्र लिखा जाएगा। वहीं सीईओ जनपद पंचायत अंजना नागर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यदि कुआं निजी निकला तो संबंधित को नोटिस जारी कर मुण्डेर बनवाने की कार्रवाई होगी। यदि सार्वजनिक हुआ तो तत्काल मुण्डेर निर्माण कराया जाएगा।
Author: Parinda Post
सरहदें इंसानों के लिए होती हैं, परिंदा तो आज़ाद होता है !

