आशीष चौरसिया बकस्वाहा। जहां केंद्र सरकार आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों के माध्यम से पिछड़े क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने के दावे कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत इससे उलट तस्वीर पेश कर रही है। मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले का बकस्वाहा विकासखंड, जिसे आकांक्षी ब्लॉक घोषित किया गया है, यहां शिक्षा विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता ने बच्चों के भविष्य को अंधकार में डाल दिया है। यहां के आकांक्षी ब्लॉक में 128 शासकीय स्कूलों की देखरेख करने वाला बीआरसी (विकासखंड संसाधन केंद्र) कार्यालय खुद बेपटरी है, क्योंकि जिन अधिकारियों के भरोसे व्यवस्था चलनी थी, वो महीनों से गायब हैं और कार्यालय उनकी हाजरी नाम मात्र हैं । परिणामस्वरूप, न सिर्फ स्कूलों की छतें गिर चुकी हैं, बल्कि निर्माण कार्य शुभारंभ करने के लिए एक ईंट तक नहीं लगाई गई ।पिछले शैक्षणिक सत्र में शिक्षा विभाग ने बकस्वाहा विकासखंड के कई विद्यालयों में 17 कक्षों को ‘जर्जर’ घोषित कर गिरा दिया गया था , लेकिन आज दिनांक तक इन स्कूलो के एक भी कक्ष का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। इस वर्ष भी विभाग ने 15 और कक्षों को गिराने का प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया है — लेकिन पुरानी ढहाई गई छतों के नीचे अब भी बच्चों का भविष्य दबा पड़ा है। जहां शिक्षा का सुधार होना था, वहां बच्चे पंचायत भवनों, किराए के कमरों और दूसरे स्कूलों की छांव में पढ़ने को मजबूर हैं।गौरतलब हैं कि बीआरसी कार्यालय में 12 कर्मचारी पदस्थ हैं, पर उनमें दो प्रमुख जिम्मेदार लगातार अनुपस्थित रहते हैं, जिसमें कामता प्रसाद नायक, उपयंत्री — जिन पर भवनों की मरम्मत और निर्माण कार्यों की निगरानी का दायित्व है, महीनों से कार्यालय नहीं आए हैं, वहीं दूसरे कार्यालय सहायक नीरज बादल एलडीसी जो आज तक कार्यालय में नहीं देखे गए।
स्थानीय नागरिक अनिल बड़कुल, आशीष चौरसिया और राहुल ने बताया कि कामता नायक कभी-कभार दिख जाते हैं, पर नीरज बादल को तो कोई पहचानता तक नहीं। क्या वे वास्तव में यहां नियुक्त हैं भी या सिर्फ नाम मात्र से उनकी उपस्थिति दर्ज की जा रही हैं। दोनो कर्मचारी कितने दिन कार्यालय आये है कितने दिन ये जॉच सी सी टीवी की रिकॉर्डिंग के माध्यम से होनी चाहिये तभी सारी सच्चाई सामाने आयेगी।
इनका कहना हैं कि
कामता प्रसाद नायक किसी आवश्यक बैठक में छतरपुर गए हैं और नीरज बादल को जिला कार्यालय में अटैच कर दिया गया है, बीआरसी प्रभारी चंद्र विजय बुंदेला।
Author: Parinda Post
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